हमारे देश के गांवो में उद्यमिता विकास के माध्यम से आत्मनिर्भरता के साथ गांवों में विज्ञान की सक्रिय पहुंच और वैज्ञानिक नवाचार की भावना को बढ़ाने की आवश्यकता है। इन्ही विचारों के परिप्रेक्ष्य में सीरी पिलानी ( भारत सरकार का अनुसन्धान केंद्र ) एवं विज्ञान भारती द्वारा विज्ञान गावों की ओर कार्यक्रम चलाया जा रहा है |
विज्ञान अपने उपकरणों के साथ गाँव तक पहुँच गया है, लेकिन विज्ञान अभी भी ग्रामीणों के बीच लगभग एक पहेली है। बड़े संस्थानों में काम करने वाले वैज्ञानिकों को ही केवल प्राथमिकता नहीं मिलनी चाहिए बल्कि ग्रामीण विज्ञान के काम का भी बड़े पैमाने पर योगदान माना जाना चाहिए। गांव को मजबूत बनाने के लिए लोगों को विज्ञान के प्रति जागरूक करना जरूरी है यह जागरूकता उद्यमिता विकास से ही आएगी। कारण यह है कि जब कोई काम रोजगार से जुड़ा होता है तो उसे समझना जरूरी हो जाता है। हमारे देश के गांवो में उद्यमिता विकास के माध्यम से आत्मनिर्भरता के साथ गांवों में विज्ञान की सक्रिय पहुंच और वैज्ञानिक नवाचार की भावना को बढ़ाने की आवश्यकता है। इन्ही विचारों के परिप्रेक्ष्य में सीरी पिलानी ( भारत सरकार का इलेक्ट्रोनिक्स अनुसन्धान केंद्र ) एवं विज्ञान भारती द्वारा विज्ञान गावों की ओर कार्यक्रम चलाया जा रहा है | सीरी द्वारा इसके पिलानी स्थित केंद्र में इस कार्यक्रम के अंतर्गत स्किल डेवलपमेंट ट्रेनिंग दी जा रही है, इस कार्यक्रम का दायरा बढ़ाते हुए जयपुर के अभयपुरा गांव को चयनित किया गया है | 75 वे स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त 2021 के अवसर पर सीरी जयपुर केंद्र एवं विज्ञान भारती द्वारा ग्राम अभयपूरा में स्थानीय युवा समूह के सहयोग से कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है जिसमे गांव हेतु चार सोलर लाइट्स का लोकार्पण किया गया , महिला उद्यमिता केंद्र की स्थापना की गयी एवं विज्ञान भारती के पदाधिकारियों द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों की सूचना दी गयी | इस अवसर पर गांव में स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के अंतर्गत 75 पेड़ लागाने की शुरुआत 25 पेड़ लगाने से की गयी | हर पेड़ का संरक्षक गांव का ही एक परिवार है | विज्ञान गावो की ओर कार्यक्रम के उद्देश्य: लाइव प्रदर्शन, पायलट परियोजनाओं, प्रदर्शनियों आदि के माध्यम से ग्रामीणों के बीच अपनाने योग्य और टिकाऊ नवीन प्रौद्योगिकी के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए और प्रौद्योगिकियों और प्रथाओं को अपनाने के लिए संबंध प्रदान करना कौशल विकास, डिजिटल और वित्तीय साक्षरता और भीड़ सहयोग के माध्यम से आत्मनिर्भरता, स्वरोजगार के लिए प्रशिक्षण प्रदान करना। गोद लिए गए गांव में पर्यावरण के अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करना नई प्रौद्योगिकियों और योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए विश्वविद्यालयों, प्रौद्योगिकी संस्थानों, अनुसंधान संस्थानों, कॉर्पोरेट, सरकारी एजेंसियों और उद्योगों के लिए एक मंच प्रदान करना है
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